शंख पोला एक पारंपरिक बंगाली और महाराष्ट्रीयन आभूषण होता है, जिसे देवी लक्ष्मी मां का आशीर्वाद माना जाता है। और इसे शादीशुदा महिलाएं विशेष रूप से पहनती हैं। इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। व्रत त्यौहार तीज करवा चौथ हरितालिका इन सभी त्योहारों में महिलाएं खास तौर पर इन्हें पहनती है देखा जाए तो यह आमतौर पर दो कंगनों (चूड़ियों) के रूप में पहना जाता है। आईए जानते हैं इस पोस्ट में की संख पोला कब और क्यों पहना जाता है।
शंख।
यह सफेद रंग की चूड़ी होती है, पवित्रता और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है और ये समुद्री शंख से बनाई जाती है।
पोला।
यह लाल रंग की चूड़ी होती है, जो ऊर्जा समृद्धि और मंगल का प्रतीक मानी जाती है। और यह आमतौर पर कोरल या सिंदूर रंग की लकड़ी से बनाई जाती है।
शंख पोला कब और क्यों पहनी जाती है।
शादी के समय दूल्हे की मां या सास अपनी बहू को शंख-पोला पहनने की रस्म करती हैं। इसे पहनने से पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की ढेर सारी शुभकामनाओं से जोड़ा जाता है। यह रस्म खासकर बंगाल उड़ीसा महाराष्ट्र आदि में यह परंपरा बहुत आम है।
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