पैरेंट्स अपने बच्चों कि पैरेन्टिंग कैसे करें। पैरेंट्स अपने बच्चों को चिरचिरा होने से कैसे रोकें

अगर आपके बच्चे भी चिड़चिड़े हैं तो उन्हें कैसे रोके सबसे पहले हमें यह जानना होगा की हर बच्चा अलग होता है उसकी अपनी पसंद और ना पसंद होती है इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमें बच्चों को चिड़चिड़ा होने व पेरेंट्स अपनी पैरेन्टिंग में उनके साथ कैसा व्यवहार करें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपका व्यवहार जो आप अपने बच्चों के साथ करते हैं वह व्यवहार कैसा है।अगर आपका व्यवहार अच्छा है वाणी मीठी है तो आपके बच्चे भी इस माहौल में आपकी बात सुनेंगे समझेंगे और अगर आप उनसे रूडली उखड़ कर बात करते हैं गुस्सा करते हैं उन पर तो उनका भी व्यवहार वैसे ही होगा जैसा आप उनके साथ अपनी पैरेन्टिंग में करेंगे। इसलिए हमें ध्यानपूर्वक अपने बच्चों को चिड़चिड़ा होने से उनको बहलाकर फूसला कर चिड़चिड़ा होने से रोक सकते हैं। क्योंकि पेरेंटिंग करना एक चुनौती पूर्ण एहसास अनुभव है और खुद को पुरस्कार पूर्ण करना जैसा है और अपने बच्चों को प्यार और प्रोत्साहन के साथ पेरेंटिंग करें तो इसलिए इस पोस्ट में हम यह बात करेंगे कि पेरेंटिंग कैसे करें।और अपने बच्चों को चिड़चिड़ा होने से कैसे रोकें।




बच्चों को अपने गले से लगाएं और उसके साथ अच्छा व्यवहार रखें और शारीरिक संपर्क बनाएं।उसके हाथों और पैरों को पकड़कर सहलाएं। उनका माथा चूमकर उनसे प्यार जताए है।


बच्चे से शांत और मधुर आवाज़ में हमेसा बात करें। उसके लिए उन्हें लोरी या बच्चों के गीत गाएं। या कोई भक्ति भजन सुनाए या कोई पोयम सुनाएं जो उन्हें पसंद हो या फिर कोई म्यूजिक सुनाए। इससे बच्चों खुद में इंप्रूवमेंट होने की संभावना रहती है। वह अपने आप को सुनने और समझने की आपकी बातों को समझने की पूरी कोशिश करेंगे।



बच्चे को उनके पसंदीदा खिलौने दिखाएं। उनके साथ बैठकर खेलें और उन्हें भी वैसा करने के लिए कहे जैसे-जैसे आप करें वैसे-वैसे आप अपने बच्चों को करने को कहें वह वैसे ही गतिविधियां करेंगे तो इस तरह से उनके हाथ पैर भी और उंगलियों के मसल्स भी फ्री होंगे और खिलौनों से बच्चा सीखने और समझने की भी कोशिश करता है। आप चाहे तो कोई पुस्तक भी दिखा कर कोई जानवर वाली पुस्तक हो या कोई फल वाली पुस्तक हो उसे बच्चों को दिखाएं। इससे बच्चा आपका ज्यादा एक्टिव होगा और ब्रेन डेवलपमेंट होगा।



बच्चे को एक शांत और आरामदायक वातावरण पसंद आता है इसलिए आपको उनके लिए एक प्लेग्राउंड तैयार करना है आप अपने रूम में ही यह प्लेग्राउंड तैयार कर सकते हैं ताकि वह शांत माहौल में रहकर सो सके खेल सके।



बच्चे को प्यार और प्रोत्साहन करें। आप जितने अच्छे शब्दों का उपयोग करेंगे बच्चों को प्रोत्साहन करनें के लिए बच्चे वही सीखेंगे।बच्चों को चाहिए कि उन्हें सकारात्मक तरीके से प्रोत्साहित करें ताकि उनका मूड अच्छा रहे।उसके लिए सकारात्मक और प्रोत्साहित करने वाले शब्दों का उपयोग करें।



पेरेंट्स अपने बच्चों की पेरेंटिंग कैसे करें।



पैरेन्टिंग में आप अपने बच्चे को प्यार करे। उनका समर्थन करे और सुरक्षा प्रदान करें। उन्हें यह यकीन दिलाऐ कि आप उनके साथ हैं और आपसे उन्हें भरपूर प्यार मिल रहा है उनकी भावनाओं को अच्छे से समझे उनकी जरूरत को अच्छे से पूरा करें।



पैरेन्टिंग में अपने बच्चे को सिखाएं कि कैसे अच्छा व्यवहार करना है और कैसे दूसरों के साथ पेश आना है। अपनों से बड़ों के साथ कैसा व्यवहार रखता है जैसे चाचा मामा दादा मां पापा अदी।



पैरेन्टिंग में आप अपने बच्चे के लिए सीमाएं निर्धारित करें और उन्हें समझाएं और बताएं कि सही क्या है और गलत क्या है।

पैरेन्टिंग में आप अपने बच्चे के साथ खुलकर संवाद करें। आप उनकी बातें भी सुने और उन्हें यह यकीन दिलाए कि आप उनकी बात समझ रहे हैं सुन रहे हैं और उनके सवालों का जवाब दें।


पेरेंटिंग में खुद पर धैर्य बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
अपने बच्चे को पूरा समय दें। और उन्हें सिखाने के लिए अपने आप पर पूरा धैर्य बनाए रखें। क्योंकि जरूरी नहीं की हर बच्चा एक दो बार में ही कुछ सीख जाए सब बच्चा अपना अपना समय लेता है।


पेरेंटिंग के दौरान आत्म-देखभाल करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें और समय-समय पर आराम करें। या फिर आप किसी आया को रख ले घर के कामकाज के लिए या फिर अपने बच्चों की देखभाल के लिए।


पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।